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राष्ट्रभाषा से ही विकास संभव-आचार्यश्री

संत शिरोमणि जैनाचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि राष्ट्रभाषा को ही अपनाकर विकास के द्वार खोले जा सकते है। अंग्रेजी भाषा के भ्रमजाल से निकलना होगा। उक्त उद्गार आचार्यश्री ने आज बीनाबारहा में रविवारीय प्रवचन में कहे। आचार्यश्री ने कहा कि दुनिया के जितने भी देशों ने तरक्की की है। उन्होंने अपनी ही भाषा के माध्यम से आय में व्यापक बढोतरी की है। चीन हो या जापान या फिर दक्षिण कोरिया इन्होंने अपनी ही भाषा के माध्यम से आय को बढ़ाया है। भारत भी संपन्न देश है। मगर हम आज भी हिन्दी की

‘दार्शनिक समन्वय की जैन दृष्टि’ कृति को महावीर पुरस्कार-२०१३

‘महर्षि वादरायण व्यास’युवा राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित विद्वान डॉ अनेकान्त कुमार जैन, नई दिल्ली की महत्वपूर्ण शोध कृति ‘दार्शनिक समन्वय की जैन दृष्टि : नयवाद’ को जैन विद्या संस्थान, जयपुर द्वारा प्रदान किये जाने वाले लब्ध प्रतिष्ठित "महावीर पुरस्कार-२०१३" के लिए वहाँ की विशेषज्ञ समिति ने चयनित किया है| यह कृति डॉ अनेकान्त के शोधप्रबंध का प्रकाशित संस्करण है जिसे उन्होंने प्रो.दयानंद भार्गव जी के निर्देशन में जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं में रह कर पूर्ण किया था| उक्त ग्रन्थ का गरिमापूर्ण प्रकाशन वैशाली स्थित प्राकृत, जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान ने किया है| यह कृ

Maoists lock up Jain temple atop Parasnath

A Maoists’ group has reportedly locked up a Jain temple atop Parasnath hill, about 75 kilometres from Giridih in Jharkhand, and warned the trustees of dire consequences if they continued hill cutting to expand the temple complex. The group has posted red flags and banners in the complex.

The Parasnath hill is the place where 20 out of 24 tirthankars of Jains attained enlightenment and is considered very sacred by the community.

पारसनाथ को पर्यटन क्षेत्र बनाने का निर्देश

रसनाथ को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने का निर्देश स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता ने सरकार को दिया। प्रश्नकाल के दौरान झामुमो विधायक जगन्नाथ महतो ने पारसनाथ क्षेत्र में रोपवे के निर्माण का मामला उठाया था। इसपर सरकार का संतोषजनक उत्तर नहीं आने पर स्पीकर ने कहा कि सरकार गोल-मटोल बात न करते हुये पारसनाथ को पयर्टन क्षेत्र के रूप में विकसित करने का प्रयास करें। स्पीकर ने कहा कि गिरिडीह अंतर्गत पारसनाथ जैनियों का प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां पूरे भारत भर से लोग पहुंचते हैं।

जैन अल्पसंख्यक, तो आप नाराज क्यूँ हैं?

केंद्र सरकार ने जैन समाज को केंद्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित कर के एक ऐतिहासिक फैसला लिया है और जैनों को उनके मौलिक अधिकारों से जिससे वे शुरू से ही वंचित थे, पूर्ण बना दिया है| इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर जहाँ एक तरफ जैन समाज में चारों तरफ खुशी की लहर व्याप्त है वहीँ दूसरी तरफ कुछ संगठनों में और राजनैतिक पार्टियों में अंदर ही अंदर आक्रोश भी दिखाई दे रहा है| हमारे कुछ एक मित्र जिनमें जैन भी है और अन्य भी मुझे फोन करके कई तरह के प्रश्न कर रहे हैं| हो सकता है ऐसे प्रश्न आप सभी को भी आंदोलित कर रहे हों| मैंने उनके प्रश्नों के जबाब अपनी समझ से जो दिए वो मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा

नई पहचान या सिर्फ भुलावा

जैन समाज की देश ही नहीं, दुनिया में अपनी धाक है। यह धाक आज से नहीं, सैकड़ों सालों से है। अब केन्द्र सरकार ने उसे अल्पसंख्यकों में शामिल करने का निर्णय किया है तो देश और समाज में एक बहस छिड़ गई है। बहस यह है कि अल्पसंख्यक दर्जा मिलने से जैन समाज को कौन सी नई पहचान मिलेगी? क्या वह आज जहां है, उससे ऊपर किसी मुकाम पर पहुंचेगा या यह दर्जा उसके लिए भी भुलावा ही साबित होगा?

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