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राष्ट्रभाषा से ही विकास संभव-आचार्यश्री

Published in: 
Nai Dunia
Published on: 
Monday, 6 April, 2015
City: 
Sagar, Madhya Pradesh

संत शिरोमणि जैनाचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि राष्ट्रभाषा को ही अपनाकर विकास के द्वार खोले जा सकते है। अंग्रेजी भाषा के भ्रमजाल से निकलना होगा। उक्त उद्गार आचार्यश्री ने आज बीनाबारहा में रविवारीय प्रवचन में कहे। आचार्यश्री ने कहा कि दुनिया के जितने भी देशों ने तरक्की की है। उन्होंने अपनी ही भाषा के माध्यम से आय में व्यापक बढोतरी की है। चीन हो या जापान या फिर दक्षिण कोरिया इन्होंने अपनी ही भाषा के माध्यम से आय को बढ़ाया है। भारत भी संपन्न देश है। मगर हम आज भी हिन्दी की बजाय अंग्रेजी के भरोसे बैठे है। हमारी शिक्षा पद्धति में हिंदी को अनिवार्यतः जोड़ा जाना चाहिए। आईआईटी और आईआईएम जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में भी हिंदी माध्यम लागू होना चाहिए। जिससे देश में आर्थिक और व्यवसायिक तथा औद्योगिक क्रांति आ सके। आचार्यश्री ने कहा कि खान-पान के माध्य से ही नई पीढ़ी में अच्छे संस्कार दिये जा सकते है। होटलो में भले ही वेज और नॉनवेज अलग अलग लिखकर संचालक द्वारा उपभोक्ताओं को भ्रमजाल में डाल दिया जाता है। मगर खाना तो एक ही चम्मच से बनता है। तो शुद्ध कैसे हो सकता है। रविवार को आचार्यश्री की आहारचर्या कृषि पंडित महेन्द्र जैन पटना बुजुर्ग के चौके में हुई। इस अवसर पर सागर से पहुंचे सकल दिगम्बर जैन समाज के द्वारा आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर ग्रीष्म कालीन वाचना हेतु आग्रह किया गया। रविवार को नागपुर, जबलपुर, दमोह, टीकमगढ़ से श्रद्धालुओं ने बीनाबारहा पहुंचकर दर्शनकर आशीर्वाद लिया।