आदिनाथ भगवान के चरणों में मना रहे है। आप सभी अपने नगर गाँव से चलकर यहां कुण्डलपुर आये है। हम बुन्देलखण्ड की धरती पर पहली बार आये है, और कुण्डलपुर के बड़ेबाबा के चरणों में पहली बार महावीर निर्वाण महोत्सव मना रहे है। उक्त उद्गार परम पूज्य वात्सल्य वारिधि आचार्य रत्न 108 श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने निर्वाण लाड़ू महोत्सव कुण्डलपुर में बड़ी संख्या में उपस्थित श्रृद्धालुओं के बीच प्रवचन देते हुए व्यक्त किये।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि, जिस तरह आप लोग आज यहां आदिनाथ भगवान् के चरणों में बैठे है, ऐसे ही भरत चक्रवर्ती के पुत्र मारीची भगवान ऋषभदेव के समवसरण में बैठे थे, वे भगवान ऋषभदेव के पोते थे। चक्रवर्ती भरत ने प्रष्न किया मेरी भी एक जिज्ञासा है, समझना चाहता हूँ, आपने केवल्य प्राप्त किया हमारे कुल में क्या और कोई तीर्थंकर होगा? भगवान ऋषभदेव ने उत्तर दिया यह तुम्हारा पुत्र मारीचीकुमार अंतिम तीर्थंकर महावीर होगा। आचार्य श्री ने बताया कि, किस तरह सिंह पर्याय से परीवर्तित होकर दस भवों में भगवान् महावीर बने। अपन सभी सौभाग्यषाली है, भगवान महावीर के इस शासनकाल में विद्यमान है। बड़ेबाबा का मंदिर निर्माण हो रहा है, पहले मंदिर छोटा था, असुविधा होती थी दीपावली पर तो इतनी भीड़ को दर्शन का सौभाग्य नही मिल पाता था। धन्य है, आपने वैसी अवस्था में दर्शन किये। पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के मन में आया कि बाबा बड़े है, मंदिर छोटा है, बड़ेबाबा का जो योग्य स्थान था उसी उचित स्थान पर आ गये। बड़ेबाबा स्वयं चाहते थे बड़े स्थान मे विराजमान हो जाये लोग सुविधा से दर्शन करें। भगवान् ऋषभदेव इस विशाल मंदिर में विराजमान हो गये। लोगों के मन में नाना प्रकार की भ्रांतियां फैली है, किसी भी प्रकार की भ्रांति किसी के मन में है, वह दूर कर सभी प्रार्थना करें कि बड़ेबाबा का मंदिर जल्दी बनें। कुण्डलपुर क्षेत्र कमेटी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी से आषीर्वाद लेकर परामर्श कर ही मंदिर के कार्य को आगे बढ़ाया है, अब भी कलुषता जिसके मन में है वह धो डालो। देषवासी जब तक बड़ेबाबा का मंदिर पूर्ण न बन जाये आप यही मंगल भावना भाये मंदिर शीघ्र बनकर तैयार हो। आचार्य श्री ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा मंदिर तो बड़ेबाबा का अवष्य बनेगा। बड़ेबाबा को यदि जाना होता तो नजदीक गाँव पटेरा में चले जाते, लेकिन जहां श्रीधर केवली ने निर्वाण प्राप्त किया वहां बड़ेबाबा विराजमान हुए है। इतना भव्य मंदिर बनें कि स्वर्ण मंदिर, तिरूपति बाला जी जानें वाले भी बड़ेबाबा के मंदिर के दर्षन यहां आकर करें। सिंह जैसे प्राणी की चारण ऋद्धि धारी मुनि के सम्बोधन से जिस प्रकार सिंह की क्रूरता चली गई हमारी कलुषता भी दूर हो, हम भी भगवान बनें। संसार दुखों से भरा है, सुख तो अपनी आत्मा में है, आत्मा का सुख परमात्म पद प्राप्त करनें पर मिलेगा। भगवान महावीर ने वह सुख प्राप्त कर लिया आज के दिन। भगवान महावीर तो मुक्त हो गये, हम भी मुक्त हों, हम भी परमात्मा बननें का पुरषार्थ करें अपने परिणामों को भी मिठास दें। सिद्ध क्षेत्र अतिशय क्षेत्र में आकर परिणामों को निर्मल करें।
कुण्डलपुर क्षेत्र मीडिया प्रभारी जयकुमार जलज ने बताया इस अवसर पर पूज्य आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य बड़ेबाबा का अभिषेक शांतिधारा हुई, अत्यंत श्रृद्धा भक्ती से निर्वाण लाड़ू चढ़ाया गया। सर्व प्रथम निवार्ण लाड़ू चढ़ाने का सौभाग्य नेमचंद, रूपचंद, गौरव, संभव सिंघई ने प्राप्त किया। निर्वाण लाड़ू़ की पूर्व संध्या पर कृत्रिम दीप मंदिर का जल प्रवहन गाजे-बाजे के साथ स्थानीय वर्धमान सरोवर में किया गया। दीपोत्सव का कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। इस अवसर पर देश के कोनें-कोनें से आये श्रृद्धालुभक्तजनों के साथ कुण्डलपुर क्षेत्र कमेटी अघ्यक्ष संतोष सिंघई, देवेन्द्र सेठ, चन्द्रकुमार खजरीवाले, महेष दिगम्बर, देवेन्द्र बड़कुल, नवीन निराला, जयकुमार जलज, मुकेष शाह, शैलेन्द्र मयूर, संजीव शाकाहारी, सुनील वेजीटेरियन, सुरेन्द्र जैन, आनंद जैन, भागचंद जैन, संदीप शास्त्री, रीतेष जैन आदि की उपस्थिति रही।
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